डॉ. दिनेश प्रताप सिंह को मिला प्रतिष्ठित माणिक वर्मा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार

Wed 02-Oct-2024,11:46 PM IST +05:30
डॉ. दिनेश प्रताप सिंह को मिला प्रतिष्ठित माणिक वर्मा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार
  • मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य के पूर्व अवर मुख्य सचिव और संस्कृति सचिव डॉ. मनोज श्रीवास्तव की कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति रही।

  • माणिक वर्मा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दिनेश प्रताप सिंह।

  • वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दिनेश प्रताप सिंह को उनके द्वारा लिखित सामाजिक उपन्यास 'बल्लव' के लिए स्व. माणिक वर्मा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

Madhya Pradesh / Indore :

इंदौर, 2 अक्टूबर। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई के कार्यकारी सदस्य और हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दिनेश प्रताप सिंह को उनके सामाजिक उपन्यास 'बल्लव' के लिए स्व. माणिक वर्मा स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार इंदौर के फतेहपुरी समाज भवन में अखिल हिंदी साहित्य सभा द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में मध्य प्रदेश के धार जनपद के जिला जज राजकुमार वर्मा के हाथों प्रदान किया गया। इस पुरस्कार स्वरूप उन्हें स्मृतिचिन्ह, सम्मानपत्र, धनराशि, अंगवस्त्र, माणिकमाला और श्रीफल समर्पित किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि लेखक और रचनाकार अपनी पुस्तक के माध्यम से अपने विचार, अनुभव, जीवनमूल्य और परिवेश को प्रस्तुत करता है। समाज और शासन द्वारा उस पुस्तक को पुरस्कृत करने का अभिप्राय है कि लेखक के चिंतन और विचार को स्वीकार किया गया है। इस अवसर पर देश भर के चौबीस साहित्यकारों की उत्कृष्ट रचनाओं को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता प्रतिष्ठित कवि सत्यनारायण सत्तन ने की और मंच संचालन के. बी. मंसारे ने किया। पुरस्कार समारोह का आयोजन अहिसास की इंदौर शाखा के अध्यक्ष डॉ. बनवारी लाल जाजोड़िया द्वारा किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य के पूर्व अवर मुख्य सचिव और संस्कृति सचिव डॉ. मनोज श्रीवास्तव, अहिसास की राष्ट्रीय अध्यक्षा शीला डोंगरे, साहित्यकार कैलाश विंदासरिया, अरुण जैन, धीरज गर्ग इत्यादि उपस्थित रहे। इसी अवसर पर बनवारीलाल जाजोदिया द्वारा सम्पादित ग्रंथ "अरुणिमा" का लोकार्पण भी किया गया, जिसमें अहिसास से जुड़े देश भर के 61 साहित्यकारों का जीवन परिचय और उनकी संघर्षमय सहित्य यात्रा का वर्णन है। साथ ही दुनिया की सबसे लम्बी 1,361 पंक्तियों की कविता की हस्तलिखित पुस्तिका का भी लोकार्पण किया गया।

पुरस्कार समारोह के साथ ही राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। इसमें देश भर से निमंत्रित कवियों राजकुमार वर्मा- भोपाल, कमलकांत शर्मा- दतिया, विनोद नागर-भोपाल, रमेश वाजपेयी-करेरा, रामस्वरूप साहू-मुंबई, मोहन भारद्वाज-गुरुग्राम, सुदेश भाटिया-दिल्ली, सुमन मिश्रा- झांसी, यशवंत माग़री-झाबुआ, रमेश चंगेनिया- उज्जैन, पुष्पा सिंह-असम, रामकृष्ण- नागपुर और इंदौर के अंजुल कंसल, राजकुमार हांडा, सुनील वर्मा, आशा जाकड इत्यादि ने अपनी विभिन्न रचनाऍं प्रस्तुत कीं। इस समारोह में अखिल हिंदी साहित्य सभा की देश भर में फैली इकाइयों में से हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, असम और बिहार राज्यों की इकाइयों के अध्यक्षों ने अपनी इकाइयों का वृतान्त प्रस्तुत किया। दिन-भर के दो सत्रों में आयोजित समारोह में इंदौर एवं देश के अन्य भागों से दो सौ से अधिक साहित्यकार, कवि, लेखक, साहित्य प्रेमी और पत्रकार शामिल हुए।